Saturday, March 21, 2015

घोंसले तोड़ जहाँ आशियाने बने




ऐसी जगह कोई कैसे खुशियां चुने
घोंसले तोड़ जहाँ  आशियाने बने

कोयलों की कूक यहाँ गढ़ गयी
भीड़ की ये चीख देखो बढ़ गयी

बेसुरे साज से कोई सुर कैसे बने
घोंसले तोड़ जहाँ  आशियाने बने

मोर के नृत्य करते हमको बिभोर
इन पत्थरो में पनपे  कुकृत्य घोर

बिखरे कांच से आईना कैसे बने
घोंसले तोड़ जहाँ  आशियाने बने

यहाँ काग का अपना ही राग था
फूलों का कलयिों का एक बाग़ था

बंजर जमीन में  बीज कैसे जने 
चोसले तोड़ जहाँ आशियाने बने

ऐसी जगह कोई कैसे खुशियां चुने
घोंसले तोड़ जहाँ  आशियाने बने

भावार्थ

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