Sunday, March 22, 2015

तेरी आरज़ू बहुत है तेरा इंतज़ार कम है

तेरी आरज़ू बहुत है तेरा इंतज़ार कम  है
ये वो हादसा है जिस पे मेरा इख्तियार कम है

ये हवादसे जमाना बड़ी दूर ले गए हैं
मुझे अपनी जिंदगी से ये नहीं कि प्यार कम  है

ये बुझे बुझे से सागर ये उदास उदास शीशे
तेरे मयकदे में साकी कोई वादाखार कम है

मैं वसीम शेर कहने के लिए तरस रहा हूँ
कई दिन से आँख मेरी इधर अश्कबार कम है

वसीम बरेलवी 

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