Monday, May 11, 2015

रात की कैद में ये चाँद और तारे हैं

रात की कैद में  ये चाँद और तारे हैं
जरा देखिये गौर से ये अक्स हमारे हैं

दरिया ये तेरे खाबो का तुझे ले डूबेगा
जिसने की इबादत बस वो ही किनारे हैं

ए पाखी परवाज़ जरा तू नीची रख
कल ही तूफ़ान ने कई पंख उखाड़े  हैं

लड़खड़ा रहे  हैं जो कल गिर जाएंगे
कुछ इस तरह के हुए वजूद हमारे हैं

रफ़्तार जरा तू धीमी कर इस जीने की
जो भागे हैं जोरो से वो  दौड़ को  हारे हैं

रात की कैद में  ये चाँद और तारे हैं
जरा देखिये गौर से ये अक्स हमारे हैं

भावार्थ
१२/०५/२०१५







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