Thursday, June 18, 2015

आज कल आप साथ चलते नहीं

आज कल आप साथ चलते नहीं
आज कल लोग हमसे जलते नहीं

उनको पत्थर भी  किस तरह कह दूँ
वो किसी तौर भी पिघलते नहीं

आज कल लोग हमसे जलते नहीं

शहरों शहरों हमारा  चर्चा है
और हम घर से अब  निकलते नहीं

उनको दुनिया कहेगी दीवाना
रुख बदलती है जो बदलती नहीं


जगजीत सिंह -



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